Monika garg

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लेखनी कहानी -23-Aug-2022#दैनिक प्रतियोगिता के लिए #मेरी जान तिरंगा है

ए वतन ,ए वतन हमको तेरी कसम ,तेरी राहों मे जां तक लुटा जाए गें।ए वतन ,ऐ वतन।"

रामरती ईंटों के भट्ठे पर बैठी ईंट बना रही थी । नन्हा चीकू  मां के साथ बैठकर गारा मिट्टी से तरह तरह के खिलौने बना रहा था।पांच साल का चीकू (सामने स्कूल मे कोई जलसा हो रहा था उसमे एक डंडे पर तीन रंग का झंड़ा लहरा रहा था उसके चारों तरफ लोग और बच्चे खड़े हो कर कुछ गा रहे थे।) उनको देखकर अपनी मां से बोला ,"मां ये क्या हो रहा है आज वहां पहले तो वहां बच्चे पढ़ते थे आज ये क्या हो रहा है ?"
राम रती भी हसरत भरी नजर से उस स्कूल की तरफ देखकर बोली,"पता नही लला हर साल होता है ।शायद आज आजादी मिली थी हमारे देश को ।"
चीकू से रहा नही गया वह फिर सवाल गढ़ने लगा,"मां ये झंडा क्या है लोग इसे नमस्कार क्यों करते है?"
रामरती चीकू के सवालों से परेशान हो गयी और जोर से झिड़क कर बोली,"मोहे ना पता । क्या सारा दिन पटर पटर करता रहता है।"
शायद इस गुस्से मे रामरती की खीज भी शामिल थी।मन मे शुरू से ही यही था जब वह शादी करके नही आयी थी।उसका बड़ा मन होता था पढ़ने का पर मां बाप मजदूरी करते थे फिर सात बहन भाई उनके पेट ही बड़ी मुश्किल से पलते थे पढ़ाई लिखाई तो दूर की बात है ।शादी तो उसकी भीखू से बचपन मे ही हो गयी थी पर गौना नही हुआ था वह हमेशा ही पढ़ने के लिए तरसती रही। वह मन ही मन सोचती थी "मै तो नही पढ़ पाई पर अपने बच्चों को खूब पढ़ाऊंगी।"
पर जब गौना करके इस घर मे आयी तो उसके पेट मे चीकू था तभी भीखू ज्यादा शराब पीने लगा था और धीरे धीरे उस शराब ने भीखू को खाट पर बैठा दिया।
चीकू छोटा सा ही था जबसे वह इस भट्ठे पर काम कर रही थी।अब उसका भी बच्चा पढ़ने लिखने के लिए तरसे गा यही सोच सोच कर वह मन ही मन किलसती रहती थी।
तभी चीकू के जोर से बोलने पर रामरती की तंद्रा भंग हुई।
"मां ओ मां क्या सोच रही हो ? मां मै उस स्कूल की दीवार के पास जाकर उनका ये जलसा देख लूं।"
रामरती ने हां मे सिर हिला दिया सोचा यहां बैठा बैठा सौ सवाल जवाब करेगा और उसका फिर से अपनी परिस्थितियों को देखकर मन हीनभावना से ग्रस्त हो जाएगा।
मां के हां कहते ही चीकू भाग कर स्कूल की दीवार के पास खड़ा होकर अंदर का प्रोग्राम देखने लगा। लोगों मे बहुत गहमागहमी थी। कोई कुछ कर रहा था कोई कविता की प्रेक्टिस कर रहा था।कही फर्श पर रंगों से चित्रकारी हो रही थी।चीकू का बड़ा मन कर रहा था वह भी अंदर जाए और जलसा देखे।तभी उसकी नजर मास्टर जी की तरफ पड़ी वो उसी को इस तरह अंदर झांकते हुए देख रहे थे। उन्हें उस पर तरस आ गया और चीकू को हाथ के इशारे से अंदर बुलाया।
बेचारा डरता डरता अंदर गया तो मास्टरजी ने बड़े प्यार से उसे अपने पास बुलाकर कहा,"बेटे ऐसे बाहर खड़े हैकर अपनी आजादी का जश्न देखोगे ।आ जाओ अंदर बैठकर देखो।"
चीकू के मन मे बहुत देर से सवाल उबल रहा था।कि ये डंडे पर लगा झंड़ा किसका है और सब लोग इसे सलाम क्यों कर रहे है ।उसने माहौल जब सहज होता देखा तो वही प्रश्न जिसके लिए अभी अभी मां से डांट खाकर आया था वह मास्टर जी पर दाग दिया।"ये क्या है? और लोग से सलाम क्यों कर रहे है ?*
मास्टर जी उस नन्हे से बालक की उत्सुकता देखकर बोले"बेटा ये तिरंगा है ।ये हमारा राष्ट्रीय ध्वज है । इसलिए हम इसे सलाम कर रहे है।और इसमे जो तीन रंग है वो हमारे देश की खूबी को दर्शाते है हरा, केसरिया,सफेद
हरा रंग हरियाली का प्रतीक है कि हमारा देश हरा भरा है ।, केसरिया रंग यहां के मुनिजनों संतों और देश के लिए शहीद हुए योद्धा के लिए है।और सफेद रंग शान्ति का प्रतीक है मतलब हमारा देश शांति ही चाहता पूरे संसार मे।"
नन्हे चीकू को कुछ थोड़ा बहुत समझ आ रहा था उसे गौर से ये सब सुनते देखकर पास मे खडे प्रिंसिपल सर बोले,"बेटा कहां से आये हो तुम और तुम्हारे मां बाप कहां है?"
 चीकू ने भट्ठे की तरफ इशारा करके कहा,"वोववो... वहां पर मेरी मां ईटे बनाती है।"
 "कही पढ़ते हो?"
  मास्टर जी ने उसकी ओर मुंह करके पूछा
  चीकू ने ना मे सिर हिला दिया।पता नही क्यों मास्टर जी को चीकू पर बड़ा प्यार आ रहा था वो तुरंत उठे ओर उसे साथ लेकर भट्ठे पर आये । रामरती डर से कांपने लगी कही चीकू ने कोई शरारत तो नही कर दी।पर जब मास्टर जी को मुस्कुरा कर बात करते देखा तब हाथ जोड़कर बोली,"जी मास्टर साहब ।"
  मास्टर जी रामरती से बोले,"बहन तुम्हारा बेटा बड़ा ही होनहार है मुझे लगता हे वो पढ़ाई मे बहुत आगे जाएगा इसलिए तुम्हें बोलने आया हूं तुम यहां क्या इसे साथ लेकर काम करती रहती हो ऐसा करो कल से इसे स्कूल मे भेज देना ।मै पढ़ा दूगा इसे।"
  राम रती आंखों मे आंसू भरकर बोली,"जी मास्टर साहब कल से भेज दूंगी।"
  मास्टर जी के जाने के बाद रामरती आंखों मे आंसू भरे दूर तक उन्हें देखती रही जो भगवान बनकर उस के बेटे को इस दलदल से आज़ादी दिलाने आये थे।
  अभी भी स्कूल मे देशभक्ति गीत बज रहा था।
  "मेरी जान तिरंगा है।मेरी शान तिरंगा है।"
  रामरती ने दूर से खड़े होकर  तिरंगे को सलाम किया और मास्टर जी की तरफ स्वत ही हाथ जुड़ गये।
 
#दैनिक प्रतियोगिता -23 अगस्त 2022 के लिए 

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8 Comments

Gunjan Kamal

24-Aug-2022 08:30 PM

शानदार प्रस्तुति 👌🙏🏻

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shweta soni

24-Aug-2022 12:47 PM

Nice

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Chetna swrnkar

24-Aug-2022 11:56 AM

Behtarin rachana 👌

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